Friday, 26 April 2013

फारवर्ड प्रेस मई अंक प्रेस में जाने को तैयार


फारवर्ड प्रेस का मई अंक प्रेस में जाने के लिए तैयार है। इस अंक में पढिए राकेश कुमार सिंह का वह वृतांत, जो उन्‍होंने नागा साधुओं के साथ कई महीने गुजारने के बाद लिखा है ..
और बहुत कुछ .. मसलन, जस्टिस काटजू का जातिवादी चेहरा, भिक्षु काश्‍यप के जीवन के अनछुए पहलू, नरेंद्र मोदी के विकास का सच, दलित चैंबर ऑफ कामर्स के प्रमुख मिलिंद कांबले का इंटरव्‍यू ..
अपनी प्रति निकटवर्ती स्‍टॉल पर बुक करवाइए ... वार्षिक सदस्‍यता चाहने वाले संपर्क करें - -09717668639, 07827427311 (श्री संतोष सिंह, सकुर्लेशन हेड, फारवर्ड प्रेस).

अजीब कथन का गजब जबाव


रामदेव ने अतिपिछडी जाति से आने वाले नरेंद्र मोदी को हनुमान बताया है। और यह शायद उचित ही है। रामदेव स्‍वयं भी इसी श्रेणी में आते हैं। भारतीय मिथक हनुमान के बारे में फारवर्ड प्रेस के नियमित लेखक प्रेमकुमार मणि ने एक जगह जो लिखा था, यहां उसका आशय समझने की जरूरत है। मणि ने नीतीश कुमार को लिखे एक पत्र में कहा था कि ''राम राज अपने मूल में कितना प्रतिगामी था, आप भी जानते होंगे। वहां शंबूकों की हत्या होती थी और सीता को घर से निकाला दिया जाता था। आपके राम राज का चारण कौन है, आप जानें-विचारें। मैं तो बस दलितों-पिछड़ों और सीताओं के नजरिये से इसे देखना चाहूंगा। मैं बार-बार कहता रहा हूं, हर राम राज (आधुनिक युग के सुशासन) में दलितों-पिछड़ों के लिए दो विकल्प होते हैं। एक यह कि चुप रहो, पूंछ डुलाओ, चरणों में बैठो – हनुमान की तरह। चौराहे पर मूर्ति और लड्डू का इंतजाम पुख्ता रहेगा।
दूसरा है शंबूक का विकल्प। यदि जो अपने सम्मान और समानाधिकार की बात की तो सिर कलम कर दिया जाएगा।"

No anticipatory bail under SC/ST Act until charges proven false: SC


New Delhi, April 24, 2013:
A person facing charges under the SC/ST (Prevention of Atrocities) Act cannot be granted anticipatory bail until it was proved that no case was made out against him and the allegations were false, the Supreme Court has held.

A bench of justices A K Patnaik and S J Mukhopadhaya explained the legal position while setting aside an order of anticipatory bail granted to Baljinder Singh by the Punjab and Haryana High Court.

The court said a case for anticipatory bail could arise for a person, accused of an offence under the Scheduled Caste/ Scheduled Tribe Act, only if charges under the special law were quashed.

The bench referred to its earlier verdict in the “Vilas Pandurang Pawar and Anr Vs state of Maharashtra and Ors” in 2012, stating that Section 18 of the Act created “a specific bar to the grant of anticipatory bail to a person against whom any offence is registered under the provisions of the Act and, therefore no court shall entertain an application for anticipatory bail unless it, prima facie, finds that an offence under the Act is not made out.”

“We find that Section 18 of the Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Act, 1984, provides that nothing in Section 438 (provisions relating to anticipatory bail) of the Criminal Procedure Code shall apply in relation to any case involving the arrest of any person on an accusation of having committed an offence under this Act,” the bench said.

Without going into the merit of the case, the court overturned the high court order passed on January 31, 2012, allowing the relief of anticipatory bail.

The case against Singh was lodged at the Model Town police station in Panipat by a woman on July 30, 2010, for making caste abuses, besides various offences including criminal intimidation and outraging modesty of the woman.
— in New Delhi.