Friday, 26 April 2013

अजीब कथन का गजब जबाव


रामदेव ने अतिपिछडी जाति से आने वाले नरेंद्र मोदी को हनुमान बताया है। और यह शायद उचित ही है। रामदेव स्‍वयं भी इसी श्रेणी में आते हैं। भारतीय मिथक हनुमान के बारे में फारवर्ड प्रेस के नियमित लेखक प्रेमकुमार मणि ने एक जगह जो लिखा था, यहां उसका आशय समझने की जरूरत है। मणि ने नीतीश कुमार को लिखे एक पत्र में कहा था कि ''राम राज अपने मूल में कितना प्रतिगामी था, आप भी जानते होंगे। वहां शंबूकों की हत्या होती थी और सीता को घर से निकाला दिया जाता था। आपके राम राज का चारण कौन है, आप जानें-विचारें। मैं तो बस दलितों-पिछड़ों और सीताओं के नजरिये से इसे देखना चाहूंगा। मैं बार-बार कहता रहा हूं, हर राम राज (आधुनिक युग के सुशासन) में दलितों-पिछड़ों के लिए दो विकल्प होते हैं। एक यह कि चुप रहो, पूंछ डुलाओ, चरणों में बैठो – हनुमान की तरह। चौराहे पर मूर्ति और लड्डू का इंतजाम पुख्ता रहेगा।
दूसरा है शंबूक का विकल्प। यदि जो अपने सम्मान और समानाधिकार की बात की तो सिर कलम कर दिया जाएगा।"

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