Tuesday, 11 June 2013

फारवर्ड प्रेस का जून, 2013 अंक,


कर्नाटक भाजपा ने येदियुरप्पा को हटाया, यह तो ठीक था लेकिन उसने उसके सामाजिक न्याय वाले चरित्र से भी वंचित कर दिया। इसकी जगह उसकी नकेल अनंत कुमार जैसे कुटिल ब्रा्रह्मण नेताओं के हाथ में सौंप दी। इसके विपरीत कांग्रेस ने अपनी पार्टी को दलित-बहुजन नेताओं के हाथ में सौंप दिया। नतीजा सामने है। एक ओबीसी कुरुब नेता सिद्धरमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं। वहां पार्टी बदल गई है। चेहरा बदल गया है। लेकिन धारा नहीं बदली है। कर्नाटक की जनता को बधाई कि उसने सामाजिक न्याय की राजनीतिक धारा को बनाए रखा।
जो लोग यह समझते हैं कि कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचरण मुख्य मुद्दा था, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब वहां चुनाव हो रहे थे तब कांग्रेस की दिल्ली सरकार अनेक बड़े भ्रष्टाचरणों में डूब-उतरा रही थी और काफी बदनाम भी थी। ये भ्रष्टाचार येदियुरप्पा के भ्रष्टाचार से भी ज्यादा बड़े थे। कर्नाटक की जनता ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया ?

(फारवर्ड प्रेस के जून, 2013 अंक की कवर स्‍टोरी का एक अंश)
Photo: कर्नाटक भाजपा ने येदियुरप्पा को हटाया, यह तो ठीक था लेकिन उसने उसके सामाजिक न्याय वाले चरित्र से भी वंचित कर दिया। इसकी जगह उसकी नकेल अनंत कुमार जैसे कुटिल ब्रा्रह्मण नेताओं के हाथ में सौंप दी। इसके विपरीत कांग्रेस ने अपनी पार्टी को दलित-बहुजन नेताओं के हाथ में सौंप दिया। नतीजा सामने है। एक ओबीसी कुरुब नेता सिद्धरमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं। वहां पार्टी बदल गई है। चेहरा बदल गया है। लेकिन धारा नहीं बदली है। कर्नाटक की जनता को बधाई  कि उसने सामाजिक न्याय की राजनीतिक धारा को बनाए रखा। 
जो लोग यह समझते हैं कि कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचरण मुख्य मुद्दा था, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब वहां चुनाव हो रहे थे तब कांग्रेस की दिल्ली सरकार अनेक बड़े भ्रष्टाचरणों में डूब-उतरा रही थी और काफी बदनाम भी थी। ये भ्रष्टाचार येदियुरप्पा के भ्रष्टाचार से भी ज्यादा बड़े थे। कर्नाटक की जनता ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया ?

(फारवर्ड प्रेस के जून, 2013 अंक की कवर स्‍टोरी का एक अंश)

No comments:

Post a Comment