इसी माह, आज से ठीक सौ साल पहले, जब युवा आम्बेडकर ने स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करने के लिए अमेरिका की धरती पर कदम रखा, तब वे ऐसा करने वाले न केवल पहले दलित थे वरन पहले भारतीय नेता भी थे। सन् 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा समाप्त करने के बाद, जब वे अमेरिका से स्वदेश के लिए रवाना हुए तब तक इस युवा अध्येता की असाधारण मेधा को वहां के प्राध्यापकों ने उद्ीप्त कर एक नया आकार दे दिया था। ये प्राध्यापक जीवन पर्यन्त उनके पथ-प्रदर्शक बने रहे। कोलंबिया विश्वविद्यालय में युवा भीमराव ने अमेरिकी संविधान का अध्ययन किया। महान अफ्रीकी-अमेरिकी नेता बुकर टी वाशिंगटन के जीवन और कार्य से उन्होंने प्रेरणा ग्रहण की। इंग्लैंड में दो साल और पढ़ाई करने के बाद जब वे भारत लौटे तो उन्होंने कहा, 'यूरोप और अमेरिका में मेरे पांच साल के अध्ययन से मेरी चेतना से यह बात पूरी तरह विस्मृत हो गई है कि मैं अछूत हूं और यह भी कि भारत में अछूत जहां भी जाता है, वह स्वयं के लिए और दूसरों के लिए समस्या होता है।'
(Published in Forward Press, July, 2013 Issue)
Forward Press.
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